क्या कभी सोचा है
क्या कभी सोचा है
झूठ बोलकर क्या
मिलेगा
क्या कभी सोचा है
कोई भोला इंसान ठगा
गया
होगा एक बार
पर तुमने तो ठगकर भी
क्या पा लिया आज तक
क्या कभी सोचा है
दूसरी बार जो इंसान
आपसे ठगा गया
वो आपसे बहुत प्यार
करता
वरना दुबारा क्यों
विश्वास करता
क्या कभी सोचा है
तीसरी बार जो इंसान तुमसे
ठगा गया
वो इंसान नही देवता
है
वो आपके माता-पिता
हैं
क्या कभी सोचा है
वो तो हारकर भी जीत
गया
और तुम जीतकर भी हार
गये
सच्चाई तो यही है
क्या कभी सोचा है
Written by : Krishan Kumar Saharan
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