गुप्त साम्राज्य
240 ई. में गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त नें की थी. भारत के इतिहास में गुप्त काल को स्वर्ण काल के नाम से जाना जाता है. गुप्त काल में भारतीय समाज काफी उन्नत अवस्था में था. इस समय समुद्रगुप्त तथा चन्द्रगुप्त द्वितीय जैसे महत्वपूर्ण शासक हुए. गुप्त साम्राज्य का विवरण निम्न प्रकार है.
# श्रीगुप्त
गुप्त वंश की स्थापना 240 ई. में श्रीगुप्त नें की थी.
# चन्द्रगुप्त प्रथम
गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक चन्द्रगुप्त को ही माना जाता है.
चन्द्रगुप्त प्रथम नें 369 ई. में गुप्त संवत् आरम्भ किया था.
# समुद्रगुप्त
यह चन्द्रगुप्त प्रथम का पुत्र था.
स्मिथ नें इसे भारत का नेपोलियन भी कहा है.
समुद्रगुप्त की मुद्राओं पर वीणा वादन दिखाया गया है.
समुद्रगुप्त की विजयों का विवरण काव्य प्रशस्ति (प्रयाग प्रशस्ति) से मिलता है. इसे हरिषेण नें उत्कीर्ण किया था.
# चन्द्रगुप्त द्वितीय (चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य)
चन्द्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है.
चीनी यात्री फाह्यान इसके समय में भारत आया था तथा उसने फ़ो-क्यो-की नामक पुस्तक लिखी थी.
इसके दरबार में नौ विद्वानों की मण्डली थी जिसे "नवरत्न" कहा जाता था.
कालिदास इसके नवरत्नों में कवि तथा लेखक था जिसने विक्रम और उर्वशी की प्रेमकथा विक्रमोर्वशीय की रचना संस्कृत में की थी.
इसके अलावा धन्वन्तरी, वराहमिहिर (खगोलशास्त्री तथा प्रसिद्ध गणितज्ञ), क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, घटकर्पर तथा वेताल भट्ट इसके दरबारी थे.
शक विजय के बाद विक्रमादित्य नें शकारि की उपाधि ग्रहण की तथा महरौली (नई दिल्ली) में लौह स्तम्भ भी खुदवाया था.
# कुमारगुप्त प्रथम
गुप्त शासकों में सर्वाधिक अभिलेख कुमारगुप्त प्रथम के प्राप्त हुए हैं.
इसके शासनकाल में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी.
# स्कन्दगुप्त
इसके शासनकाल में हूणों का आक्रमण हुआ था.
# कुमारगुप्त तृतीय
यह गुप्त वंश का अंतिम महान शासक था.
अंतिम गुप्त शासक विष्णुगुप्त तृतीय था.
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete