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मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमण

5:31:00 AM WHAT'S TRUTH 2 Comments


भारत का इतिहास भाग : 8 (भारत पर विदेशी आक्रमण)


मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक बृहदृथ के समय कुछ यूनानियों का भारत पर सर्वप्रथम आक्रमण हुआ था. भारत पर सर्वप्रथम बेक्ट्रिया के यवनों नें आक्रमण किया था तथा यवन शासक डेमिट्रीयस को प्रथम आक्रमणकारी माना जाता है.

  #  हिन्द-यूनानी (इंडो-ग्रीक)  


भारत में प्रवेश करने वाला प्रथम विदेशी आक्रमणकारी युथेडेमस वंश का डेमिट्रीयस प्रथम था.
सबसे प्रसिद्ध यवन शासक मीनान्डर था. बौद्ध साहित्य में उसे "मिलिंद" के नाम से जाना जाता है.
युथेडेमस वंश के डेमिट्रीयस प्रथम नें साकल को अपनी राजधानी बनाया था. 
यवन शासक यूक्रेटाइड नें भारत के कुछ हिस्सों को जीतकर तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाया था.  
भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के यवन शासकों नें चलाये थे.


  #  शक  


शकों को सिथियन भी कहा जाता है.
पश्चिमोत्तर भारत के शकों को क्षत्रप भी कहा जाता है.
रुद्रदामन प्रथम शकों का सबसे प्रसिद्ध शासक था.
चन्द्रगुप्त द्वितीय नें शकों को परास्त करके भगा दिया था तथा शक विजय के उपलक्ष में विक्रम संवत प्रारम्भ किया था.

  #  पह्ल्व  


शकों के बाद पह्ल्व भारत में आये.
इनका मूल स्थान ईरान था.
पह्ल्व वंश का संस्थापक मिथ्रेडेट्स प्रथम था.
गोंदोफर्निश इस वंश का महान शासक था.
इनके समय में सेण्ट थॉमस ईसाई धर्म का प्रचार करने भारत आया था.

  #  कुषाण वंश   


 इस वंश का संस्थापक कुजुल कडफिसस था. 
इस वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक कनिष्क था.

कनिष्क

 

यह बौद्ध धर्म का अनुयायी था तथा इसने बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय का प्रचार किया था.     
कनिष्क नें 78 ई. में शक संवत् प्रारम्भ किया था.   
चरक-संहिता की रचना करने वाले चरक इसके राजवैध थे.
इसके समय ही वात्स्यायन नें कामसूत्र की रचना की थी.       

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